भरी हुई शिक्षक डायरी 16 अगस्त 2021 से 25 अगस्त 2021 अगस्त तक की ,
https://drive.google.com/file/d/1wAeGGcAYrANnOC_GChJHFMOkH579SCQT/view?usp=drivesdk,
भरी हुई शिक्षक डायरी 16 अगस्त 2021 से 21 अगस्त 2021 अगस्त तक की ,
https://drive.google.com/file/d/1tz3C__L8dUkqvyVgX2sGvb5IFNqeolOX/view?usp=drivesdk
भरी हुई शिक्षक डायरी 31 may से 07 अगस्त 2021 तक ,
https://drive.google.com/file/d/1nI8ErlesNI9ib6HUpm-hjZQXPMlrrCYl/view?usp=drivesdk
भरी हुई शिक्षक डायरी 02 august se 21 अगस्त 2021 की डायरी,
भरी हुई शिक्षक डायरी Class 6,7,8, के July 21 se 05 august 21,
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मंदबुद्धि
विद्यालय में सब उसे मंदबुद्धि कहते थे । उसके गुरुजन भी उससे नाराज रहते थे क्योंकि वह पढने में बहुत कमजोर था और उसकी बुद्धि का स्तर औसत से भी कम था।
कक्षा में उसका प्रदर्शन हमेशा ही खराब रहता था। और बच्चे उसका मजाक उड़ाने से कभी नहीं चूकते थे। पढने जाना तो मानो एक सजा के समान हो गया था, वह जैसे ही कक्षा में घुसता और बच्चे उस पर हंसने लगते, कोई उसे महामूर्ख तो कोई उसे बैलों का राजा कहता, यहाँ तक की कुछ अध्यापक भी उसका मजाक उड़ाने से बाज नहीं आते। इन सबसे परेशान होकर उसने स्कूल जाना ही छोड़ दिया।
अब वह दिन भर इधर-उधर भटकता और अपना समय बर्बाद करता। एक दिन इसी तरह कहीं से जा रहा था , घूमते-घूमते उसे प्यास लग गयी। वह इधर-उधर पानी खोजने लगा। अंत में उसे एक कुआं दिखाई दिया। वह वहां गया और कुएं से पानी खींच कर अपनी प्यास बुझाई। अब वह काफी थक चुका था, इसलिए पानी पीने के बाद वहीं बैठ गया। तभी उसकी नज़र पत्थर पर पड़े उस निशान पर गई जिस पर बार-बार कुएं से पानी खींचने की वजह से रस्सी का निशान बन गया था। वह मन ही मन सोचने लगा कि जब बार-बार पानी खींचने से इतने कठोर पत्थर पर भी रस्सी का निशान पड़ सकता है तो लगातार मेहनत करने से मुझे भी विद्या आ सकती है। उसने यह बात मन में बैठा ली और फिर से विद्यालय जाना शुरू कर दिया।
कुछ दिन तक लोग उसी तरह उसका मजाक उड़ाते रहे पर धीरे-धीरे उसकी लगन देखकर अध्यापकों ने भी उसे सहयोग करना शुरू कर दिया। उसने मन लगाकर अथक परिश्रम किया। कुछ सालों बाद यही विद्यार्थी प्रकांड विद्वान वरदराज के रूप में विख्यात हुआ, जिसने संस्कृत में मुग्धबोध और लघुसिद्धांत कौमुदी जैसे ग्रंथों की रचना की।
शिक्षा:
मित्रों! हम अपनी किसी भी कमजोरी पर जीत हासिल कर सकते हैं, बस आवश्यकता है कठिन परिश्रम और धैर्य के साथ अपने लक्ष्य के प्रति स्वयं को समर्पित करने की।
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