जिउतिया या जीमूत वाहन का व्रत
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, हर वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत होता है। इस वर्ष यह 10 सितंबर दिन गुरुवार को है। जीवित्पुत्रिका व्रत को जितिया या जिउतिया या जीमूत वाहन का व्रत आदि नामों से जाना जाता है। इस दिन माताएं विशेषकर पुत्रों के दीर्घ, आरोग्य और सुखमय जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं। जिस प्रकार पति की कुशलता के लिए निर्जला व्रत तीज रखा जाता है, ठीक वैसे ही जीवित्पुत्रिका व्रत निर्जला रहा जाता है।
अवकाश तालिका के अनुसार इस व्रत हेतु महिला शिक्षिकाओं का अवकाश होता है,
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सितम्बर महीने से त्योहारों का आगमन होने वाला है, लेकिन उससे पहले इसी महीने एक और बड़ा पर्व जितिया मनाया जाएगा. जीवित्पुत्रिका व्रत माताएं अपने बच्चों के लिए रखती है. इसे अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाने की परंपरा है. ऐसे में इस वर्ष जितिया व्रत इसी गुरुवार यानि 10 सितंबर को रखा जाएगा. इससे पहले 09 सितंबर यानि आज को नहाय खाए मनाया जा रहा है.
बता दें कि तीज की तरह ही यह भी निर्जला व्रत होता है. ऐसे में आइये जानते हैं इससे जुड़ी कुछ मान्यताएं, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में क्या कहते हैं गूगल सर्च के अनुसार
जिउतिया व्रत पूजन विधि -
तीज और छठ पर्व की तरह जिउतिया व्रत की शुरूआत भी नहाय-खाय के साथ ही होती है। इस पर्व को तीन दिनों तक मनाये जाने की परंपरा है। सप्तमी तिथि को नहाय-खाय होती है। उसके बाद अष्टमी तिथि को महिलाएं बच्चों की उन्नति और आरोग्य रहने की मंगलकामना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं। वहीं तीसरे दिन अर्थात नवमी तिथि को व्रत को तोड़ा जाता है। जिसे पारण भी कहा जाता है।
व्रत हेतु शुभ मुहूर्त -
विद्वानों और गूगल की मानें तो जितिया व्रत इस वर्ष 10 सितंबर को पड़ रहा है। जिसका शुभ मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 5 मिनट से शुरू हो जायेगा। जो अगले दिन यानि 11 सितंबर को 4 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। इस व्रत को पारण के द्वारा तोड़ा जाएगा जिसका शुभ समय 11 सितंबर को दोपहर 12 बजे तक होगा।
जिउतिया व्रत से संबंधित मान्यताएं
धार्मिक मान्यताओं की मानें तो महाभारत के युद्ध के दौरान पिता की मौत होने से अश्वत्थामा को बहुत आघात पहुंचा था। वे क्रोधित होकर पांडवों के शिविर में घुस गए थे और वहां सो रहे पांच लोगों को पांडव समझकर मार डाला था। ऐसी मान्यता है कि वे सभी संतान द्रौपदी के थे। इस घटना के बाद अर्जुन ने अश्वत्थामा गिरफ्त में ले लिया और उनसे दिव्य मणि छीन ली थी। अश्वत्थामा ने क्रोध में आकर अभिमन्यु की पत्नी के गर्भ में भी पल रहे बच्चे को मार डाला। ऐसे में अजन्मे बच्चे को श्री कृष्ण ने अपने दिव्य शक्ति से पुन: जीवित कर दिया। जिस बच्चे का नामांकरण जीवित्पुत्रिका के तौर पर किया गया। इसी के बाद से संतान की लंबी उम्र हेतु माताएं मंगल कामना करती हैं और हर साल जिउतिया व्रत को विधि-विधान से पूरा करती हैं।
सभी शिक्षिका बहनों को जिउतिया व्रत
की हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐💐