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शीतकालीन समय सारणी परिषदीय कमपोजिट विद्यालय, ps,ups,

शीतकालीन समय सारणी परिषदीय कमपोजिट विद्यालय, ps,ups,


https://drive.google.com/file/d/18KL6oI_b6eHxJNfV9j6zV67-JN0ijz38/view?usp=drivesdk


शीतकालीन समय सारणी परिषदीय प्राथमिक विद्यालय:


https://drive.google.com/file/d/18JfYKaPtWL-9-Uyuqb9ZAaAmWJZAja6S/view?usp=drivesdk



शीतकालीन समय सारणी परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालय:


https://drive.google.com/file/d/18KZb-lM4rJKVZrmmzElb02CmMO07gmxY/view?usp=drivesdk

,सोने का पिंजरा एक कहानी
एक शहर में कपड़े का एक बहुत बड़ा व्यापारी रहता था | आसपास के गांव के लोग उसकी दुकान पर कपड़ा खरीदने के लिए आते थे| सेठ कभी-कभी अपने ग्राहकों को उधार कपड़ा भी देता था | इसलिए सेठ को उगाही करने के लिए आसपास के गांव में जाना पड़ता था|

एक बार सेठ गांव में उगाही करने गया था तथा वहां से लौटते समय एक पेड़ के नीचे वह आराम करने बैठ गया |थोड़ी ही देर में उसे नींद आ गई | जब वह नींद से जागा तो उसने अपने आसपास तोतो का एक समूह देखा |

हरे रंग के और लाल चोंच  वाले तोते देखकर सेठ ने सोचा  यह तो बहुत ही सुंदर तोते हैं | यदि मैं एक दो तोते को साथ ले जाऊं तो परिवार के लोग बहुत खुश होंगे|

यह सोचकर सेठ ने एक तोता पकड़ लिया और उसे वह अपने साथ घर ले गया| सेठ ने घर पहुंचकर तोते के लिए सोने का एक पिंजरा बनवाया उसमें तोते के लिए एक बैठक और एक झूला रखवाया|

पानी पीने के लिए कटोरी और खाने के लिए एक तश्तरी भी रखी गई| अब तोता सोने के पिंजरे में आराम से रहने लगा | उसे प्रतिदिन अमरुद, मिर्च और उसकी पसंद की सभी वस्तुएं खाने के लिए दी जाने लगी|

घर के बच्चे तथा सेठ तोते से बातें भी करते थे और तोता थोड़ा बोलना भी सीख गया था | तोते के साथ बातें करने मैं सभी को बहुत आनंद आने लगा|

दूसरी बार जब सेठ उगाही करने निकला तो उसने तोते से कहा- ” तोताराम, मैं उगाही करने जा रहा हूं | लौटते समय मैं तेरे माता-पिता व सगे संबंधियों से मिलूंगा | तुझे उनके लिए कोई संदेश भेजना हो तो बता?”

तोते ने कहा-” सेठ जी, सबसे कहना, तोता भूखा नहीं है | तोता प्यासा भी नहीं है| तोता सोने के पिंजरे के अंदर आराम से रह रहा है |”

सेठ उगाही कर लौटते समय उसी पेड़ के नीचे आराम करने के लिए रुक गया | तभी तोते का एक समूह उस पर टूट पड़ा | वे उसे चोंच से मारने लगे और सेठ से पूछने लगे-” सेठ जी हमारा तोता कहां है और क्या कर रहा है?”

सेठ ने उन्हें शांत करते हुए कहा, ” तोता भूखा नहीं है, तोता प्यासा नहीं है| तोता सोने के पिंजरे के अंदर आनंद कर रहा है |”

यह सुनकर सभी तोते बिना कुछ बोले जमीन पर मुर्दों की तरह लुढ़क गए |यह देखकर सेठ उनके पास गया तोते को हिलाकर देखा | परंतु ऐसा लग रहा था जैसे सारे तोते आघात से मर गए हो|

सेठ जी घर आए| सेठ को देखते ही तोते ने अपने माता-पिता एवं सगे संबंधियों के बारे में पूछा|

सेठ ने कहा, ” तेरे माता-पिता और सगे संबंधियों को जब मैंने तेरा संदेश सुनाया तो सभी लुढ़क गए | क्या उन्हें आघात लगा होगा ?”

पिंजरे के तोते ने कोई जवाब नहीं दिया | सेठ की यह बात सुनकर वह स्वयं भी पिंजरे में नीचे गिर पड़ा| सेठ ने यह देखा तो उसे बहुत आश्चर्य हुआ|  उसने पिंजरे का दरवाजा खोला और तोते को हिला डुलाकर देखा|

सेठ को लगा कि यह तोता भी आघात से मर गया है| सेठ जी ने तोते को पिंजरे से बाहर निकाल कर थोड़ी दूर पर रख दिया| मौका देखकर तोता पंख फड़फड़ाता हुआ उड़ गया|

जाते-जाते उसने कहा, ” सेठ जी, मैं आपका आभारी हूं | मुझे अपने माता-पिता का संदेश मिल गया है| मैं उनसे मिलने जा रहा हूं| आपका पिंजरा सोने का था  | लेकिन था तो पिंजरा ही | मेरे लिए वह जेल थी |”

तोता उड़ता हुआ जंगल में अपने माता-पिता और सगे संबंधियों के पास पहुंच गया| उसे लौटकर आते हुए देखकर सभी बहुत खुश हुए|

अब तोता मुक्त वातावरण में सबके साथ आनंद से रहने लगा था|
ईश्वर ने पर्यावरण में जो बनाया है उसे उसी के अनुरूप रहने दे तो सभी अपने हाल में खुश रहते है।
जय श्री राधे कृष्णा 

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