11 सितंबर 2020

संक्षिप्त संपादकीय

शिक्षा और आधुनिक प्रयोगों में पिसते गुरुजी 

भाग -1


गुरुजी द्वारा संपादकीय


 कोठारी आयोग की यह पंक्ति शिक्षा जगत में नींव का पत्थर साबित हुई कि किसी भी राष्ट्र के भविष्य का निर्माण उसकी कक्षाओं में होता है , इसी सूक्ति से यह यह भी प्रतिध्वनित हुआ कि शिक्षक राष्ट्र निर्माता है । शिक्षक शिक्षा या प्रशिक्षण एक अनिवार्य शिक्षा शास्त्रीय अवधारणा है । यह भोजन में नमक का कार्य करती है जिसके बिना भोजन नीरस रहता है , परन्तु यदि भोजन में इसकी मात्रा असन्तुलित हो जाये तो क्या होगा आप ने अनुभव किया ही होगा । कुछ यही वर्तमान में हमारे साथ भी हो रहा है । दुनिया के समस्त मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि अत्यधिक हस्तक्षेप भी व्यक्ति की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है ।ऑटोमेटिक ऑन लाइन प्रतिकूल प्रविष्टि का भय दिखा कर जिस तरह से ऑनलाइन प्रशिक्षणों की बाढ़ आयी हुई है शिक्षकों की सीखने की जिज्ञासा एवं सृजनत्मकता समाप्त होती जा रही है । अब तो लगता है BTC  ,B.ED. , M.ED. , Ph.D. किए हुए शिक्षकों की भी शिक्षण योग्यता निर्रथक है, बाल केन्द्रित शिक्षा व्यवस्था की बात करने वाले प्रशिक्षणों को शिक्षक केन्द्रित करने पर सोंच ही नहीं पा रहे है । परन्तु शिक्षक रोजी रोटी में कोई व्यवधान उत्पन्न न हो हो प्रशिक्षण पूर्ण करता जा रहा है । विरोध करने का तो कोई सवाल ही पैदा नहीं होता क्योंकि आ बैल मुझे मार कौन करे । सभी सेफ ज़ोन में रहना चाहते है , इसलिए मैं भी विरोध नहीं कर रहा सभी प्रशिक्षण मर्जर वर्जर सब नम्बर एक पर पूर्ण कर लेता  हूँ , किसी का दूरगामी अहित न हो इसलिए सबको प्रशिक्षण करने के लिए प्रेरित और मदद भी करता हूँ ,आप लोगों आगे भी करते रहे ऐसी सलाह भी दे रहा हूँ ।परन्तु एक अजीब सी बंधुवा मजदूर जैसी फीलिंग आ रही है ।_

          एक कर्मठ शिक्षक ✍️




6 टिप्‍पणियां:

Reeta devi ने कहा…

आँनलाइन शिक्षण और प्रशिक्षण सब खाता पूर्ति मात्र है।

Reeta devi ने कहा…

आँनलाइन शिक्षण और प्रशिक्षण सब खाता पूर्ति मात्र है।

Reeta devi ने कहा…

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आँनलाइन शिक्षण और प्रशिक्षण सब खाता पूर्ति मात्र है।

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आँनलाइन शिक्षण और प्रशिक्षण सब खाता पूर्ति मात्र है।