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मिशन प्रेरणा क्या है?||MISSION PRERNA IN HINDI ALL INFO||ई पाठशाला,सहित सम्पूर्ण मिशन प्रेरणा से संबंधित विषय - वस्तु,परिभाषा,शब्दावली ,विवरण,प्रयोग सहित

मिशन प्रेरणा क्या है?||MISSION PRERNA IN HINDI ALL INFO||ई पाठशाला,सहित सम्पूर्ण मिशन प्रेरणा से संबंधित विषय - वस्तु,परिभाषा,शब्दावली ,विवरण,प्रयोग सहित।


कृपया समस्त प्रधानाध्यापक, सहायक शिक्षक, संकुल, शिक्षा मित्र अनुदेशक इस पोस्ट पर ध्यान दें -                                             

मिशन प्रेरणा से सम्बन्धित निम्नांकित महत्त्वपूर्ण जानकारियों को अपने विकासखण्ड के समस्त शिक्षकों को समझाएँ व कंठस्थ कराएँ --


1- मिशन प्रेरणा


    यह सरकार का सर्वोच्च  महत्वकांक्षी कार्यक्रम है जो 5 सितंबर 2019 से गतिमान है जिसका उद्देश्य प्रेरणा लक्ष्य में परिभाषित है।
              अथवा
यह सरकार की सर्वोच्च महत्वाकांक्षी योजना है । यह 5 सितंबर 2019 को लागू हुई थी।
इसका उद्देश्य परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत सभी बच्चों को Grade Competency हासिल कराना है।

2- प्रेरणा लक्ष्य

 कक्षा वार एवं विषय वार निर्धारित न्यूनतम अधिगम स्तर ही प्रेरणा लक्ष्य है।
     जो कक्षा 1 से  5 तक भाषा और गणित के लिए निर्धारित किए गए हैं। इस प्रकार 5 भाषा के और 5 गणित के लक्ष्य हैं।
भाषा-  5, 20, 30 ,छोटा 75, बड़ा 75
गणित -5 ,75 ,75  ,75 ,75

3-  प्रेरणा सूची

कक्षा वार एवं विषय वार अपेक्षित  दक्षताओं की सूची ही प्रेरणा सूची है।
           Or
बच्चों में विकसित की जाने वाली कक्षा वार एवं विषय वार अपेक्षित दक्षताओं की सूची प्रेरणा सूची कहलाती है। कक्षा 1 से 3 तक 14 -14 एवं कक्षा 4 और 5 में 16-16  दक्षताएं निर्धारित हैं। यह प्रेरणा लक्ष्य रूपी छत पर चढ़ने के लिए बनाई गई सीढ़ी है।

4- प्रेरणा तालिका

बच्चों के द्वारा अर्जित की गई कक्षा वार एवं विषय वार दक्षताओं की वास्तविक स्थिति को प्रदर्शित करने वाली तालिका ही प्रेरणा तालिका कहलाती है । इसमें भी प्रेरणा सूची में वर्णित दक्षताएं ही दी गई हैं इसके अतिरिक्त इसमें 1 से लेकर 30 तक छात्रों का विवरण और जोड़ दिया गया है यहां हम छात्रों का नाम लिख देंगे।
     

5-  लर्निंग आउटकम 

   इसका शाब्दिक अर्थ होता है अधिगम के प्रतिफल/ सीखने के परिणाम /अधिगम संप्राप्ति।

 लेकिन जिस भाव से इस शब्द का प्रयोग पाठ्य पुस्तकों में /शैक्षिक जगत में किया जा रहा है उसके अनुसार इसका अर्थ कुछ इस प्रकार है-
   
    विद्यार्थियों के सीखने को ध्यान में रखते हुए दैनिक कक्षा शिक्षण के उद्देश्य से कक्षावार, विषय वार पाठ्यक्रम में निर्धारित ज्ञान को छोटे-छोटे भागों में विभाजित किया गया है जिसे लर्निंग आउटकम या एक्सपेक्टेड लर्निंग आउटकम कहते हैं।
          
अथवा

    विद्यार्थियों में विकसित की जाने वाली कक्षा के स्तरानुसार, विषय वार, पाठ्यक्रम में निर्धारित अपेक्षित दक्षताओं को ही  अपेक्षित सीखने के प्रतिफल कहते हैं।

   अथवा 

      अपेक्षित अधिगम प्रतिफल /दक्षताओं का बच्चों के व्यवहार में परिलक्षित होना ही वास्तविक अधिगम के प्रतिफल (Actual Learning outcomes ) या लर्निंग आउटकम का प्राप्त होना कहलाता है।

अपेक्षित सीखने के प्रतिफल Expected learning outcomes

कक्षा के स्तर के अनुसार एवं विषय वार पाठ्यक्रम में निर्धारित अपेक्षित दक्षताएं ही अपेक्षित सीखने के प्रतिफल (Expected Learning outcomes )/अपेक्षित सीखने के परिणाम /अपेक्षित अधिगम संप्राप्ति हैं।

6- वास्तविक अधिगम प्रतिफल

     कक्षावार एवं विषय वार पाठ्यक्रम में निर्धारित अपेक्षित दक्षताओं में से बच्चे द्वारा अर्जित दक्षताएं जो उसके व्यवहार में परिलक्षित होती हैं वास्तविक अधिगम प्रतिफल कहलाता है।

7-  अधिगम स्तर में अंतर
Learning Gap

कक्षा अनुरूप अपेक्षित अधिगम स्तर और वास्तविक अधिगम स्तर के अंतर को अधिगम स्तर में अंतर( learning gap )कहते हैं।

EL-AL= LG
 
Expected learning outcome-Actual learning outcome= Learning gap

8- अध्ययन- अध्यापन की दृष्टि से लर्निंग आउटकम को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है-

a-  Focal learning outcomes केंद्रिक लर्निंग आउटकम

यह व्यापक दृष्टिकोण पर आधारित होते हैं।

b-  Nested learning outcomes
नेस्टेड लर्निंग आउटकम

     नेस्टेड का अर्थ होता है छुपा हुआ अंतर्निहित अर्थात् यह फोकल लर्निंग आउटकम के अंदर निहित होते हैं जो सीधे तौर पर शिक्षण प्रक्रिया को दिशा देने तथा शिक्षण में सुधार की दृष्टि से विकसित किए गए हैं।

c-  उप लर्निंग आउटकम

   नेस्टेड लर्निंग आउटकम को उप लर्निंग आउटकम में विभाजित किया गया है जिनके आधार पर शिक्षक कक्षा शिक्षण करते हैं।

भाषा के लिए चार फोकल लर्निंग आउटकम हैं

 1-सुनना बोलना ,
2- पढ़ना लिखना 
3- भाषा संरचना और व्याकरण
4- कल्पना और सृजनशीलता

गणित के लिए 5 फोकल लर्निंग आउटकम निर्धारित हैं-

1- बच्चे अपने परिवेश को मात्रात्मक रूप से देखने व समझने के लिए संख्याओं का प्रयोग करते हैं।

2-  बच्चे संख्याओं के बीच संबंधों को समझकर गणितीय संक्रिया के उपयोग में कुशल हैं।

3-  बच्चे किसी संख्या या संख्या समूह को उसके हिस्सों के रूपों में देख पाते हैं तथा संख्या के हिस्सों के साथ विभिन्न गणितीय संक्रियाओं की समझ को व्यक्त करते हैं ।

4- बच्चे स्थान व मात्रा के विभिन्न गणितीय पहलुओं का परिवेश की जानकारी को समझने और दर्शाने तथा अपनी कल्पनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए करते हैं।

5- बच्चे समय ,मुद्रा और आंकड़ों का महत्व समझते हैं तथा उसका उपयोग अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए करते हैं।

9- आधारशिला

      इस हस्त पुस्तिका का निर्माण कक्षा 1 और 2 के बच्चों में भाषा और गणित की गहरी , बुनियादी एवं स्पष्ट समझ विकसित करने के उद्देश्य से किया गया है। ऐसा इस हस्तपुस्तिका के कवर पृष्ठ के आंतरिक पृष्ठ पर लिखे हुए विवरण के अनुसार है। लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि कक्षा 3 के बच्चों का स्तर भी कक्षा 2 के स्तर पर आ गया होगा ऐसे में इस हस्त पुस्तिका का प्रयोग कक्षा 1,2 और 3  के लिए भी प्रभावी है। हालांकि इसमें ERAC आधारित भाषा की गतिविधियां एवं ELPS सिद्धांत पर आधारित  गणित शिक्षण के माध्यम  से कक्षा 1 से 8 तक प्रभावी तरीके से शिक्षण अधिगम प्रक्रिया संपन्न की जा सकती है।
     इस हस्त पुस्तिका में कक्षा 3, 4 एवं 5 में भाषा ,गणित एवं पर्यावरण  अध्ययन पर दृष्टिपात किया गया है।
    
इसमें लर्निंग आउटकम आधारित शिक्षण योजना के निर्माण के बारे में विस्तृत चर्चा की गई है। भाषा की शिक्षण योजनाएं ERAC पैटर्न पर एवं गणित की शिक्षण योजनाएं ELPS के पैटर्न पर दी गई हैं। इसमें सुनने और बोलने के कौशल को विकसित करने के लिए 40 गतिविधियां दी गई हैं एवं विभिन्न गतिविधियों के ढांचे दिए गए हैं जिन्हें हम कक्षा 1 से 8 तक कठिनाई स्तर को बढ़ाते हुए स्थानांतरित कर सकते हैं  एवं एक ही गतिविधि से विभिन्न विषय पढ़ाए जा सकते हैं।

10-  ERAC

E - Experience (अनुभव) 
        अनुभव दो प्रकार के होते हैं एक तो वह जो बच्चों ने प्राप्त कर लिए हैं ,दूसरे वह जो इस गतिविधि के बाद बच्चों को मिलेंगे। अब प्रश्न उठता है कि बच्चे अनुभव क्यों लें वे तो खेलने, खाने एवं पीने में मस्ती लेते हैं उन्हें अनुभव से क्या लेना देना। बच्चे अनुभव तब लेंगे जब हम रोचक तरीके से शुरुआत करें तो रोचक तरीके से शुरुआत करने के लिए सेब, संतरा या टॉफी नहीं लाएंगे। यह भी संभव नहीं है कि प्रत्येक विषय के प्रत्येक पाठ के प्रत्येक प्रकरण को हम चार्ट बना पाएं, टीएलएम लेकर आएं तो ऐसे में ऐसा क्या करें जिससे के रोचकता आए रुचि पूर्ण ढंग से शुरुआत हो?

      ऐसे में हमें आवश्यकता है बच्चों के अनुभवों से प्रारंभ करने की अर्थात् उनके  परिवार की, मोहल्ले की ,गांव की, खेतों की  एवं विद्यालय में मौजूद वस्तुओं से शुरुआत करने की जो कि उसके लिए रुचिकर होगी तत्पश्चात उसके सामने चुनौती पूर्ण संदर्भ रचते हुए चिंतन के अवसर देंगे इस कार्य में रोचकता चुनौती एवं सभी बच्चों की सहभागिता अनिवार्य है।

R - Reflection (चिंतन एवं विश्लेषण) 
      जैसे ही बच्चे के सामने चुनौतीपूर्ण संदर्भ, माहौल रचा जाएगा तो बच्चे तर्क, चिंतन, कल्पना एवं अनुमान लगाते हुए नए विचारों का सृजन करेंगे जिससे कि सीखना सुनिश्चित होगा। चिंतन के लिए क्यों ,कैसे एवं अगर से प्रारंभ होने वाले प्रश्न करें। वरना सुनो कहने से कोई सुनता नहीं, ध्यान दो कहने से कोई ध्यान नहीं देता, चिंतन करो कहने से कोई चिंतन नहीं करता और सोचो कहने से कोई सोचता नहीं है। कोई भी व्यक्ति तब सुनता है जब उसे यह एहसास हो कि आप उसके काम की बात कर रहे हैं ।व्यक्ति तब सोचता है जब उसके सामने चुनौती होती है एवं खुले उत्तर वाले प्रश्न होते हैं।

A- Application (अनुप्रयोग)
     
        उक्त दो चरणों के बाद सीखे हुए ज्ञान का दूसरे संदर्भ, दूसरे प्रसंग ,दूसरे माहौल एवं दूसरी परिस्थिति, में व्यवहार में ,अपनी असल जिंदगी में, दूसरे बच्चों के साथ समूहों में प्रयोग करने के अवसर दें।

C -Consolidation( समेकन/ निष्कर्ष)
   
        पूरी प्रक्रिया को दोहराना बातचीत के माध्यम से पता करना कि बच्चे प्रथम बार चिंतन किस प्रकार से कर रहे थे? उसके बाद एप्लीकेशन के दौरान किस प्रकार से सोच रहे थे, वह किसे अच्छा या बुरा कह रहे थे और क्यों कह रहे थे इसके साथ ही साथ लर्निंग आउटकम से जोड़ना आवश्यक है। यहां स्पष्टीकरण की आवश्यकता है।

11.ELPS -

E -Experience( अनुभव )
        
        आसपास एवं विद्यालय में मौजूद ठोस/ मूर्त वस्तुओं के साथ बच्चों को खेलने उन्हें उलटने -पलटने के अवसर देंगे। इनके माध्यम से गिनना, अंक बोध ,संख्या बोध एवं जोड़ -घटा की क्रिया सिखाएं। 

L- Language( भाषा)

         उन वस्तुओं के बारे में जिनसे  बच्चे रूबरू हुए हैं बातचीत करेंगे।

P- Picture (चित्र)



       हर प्रकार की ठोस वस्तु वहां मौजूद नहीं है उदाहरण के लिए हम हाथी वहां नहीं ला पाएंगे, हम ट्रेन वहां नहीं ला पाएंगे, हम बस वहां नहीं ला पाएंगे, तो अब ठोस वस्तुओं पर बातचीत करने के बाद किताबों , चार्टों एवं दीवारों पर बने चित्रों के माध्यम से उसी प्रक्रिया को दोहराएंगे और वार्तालाप करेंगे।

S -Symbol( प्रतीक)

        उपरोक्त तीनों चरणों को क्रम से पूर्ण करने के बाद अब प्रतीकों/संकेतों अर्थात्  अंक ,संख्याओं, चिन्हों (1,2,3 ....,24, 36....,+जोड़ ,- घटा ,×गुणा,÷भाग,=बराबर ,% प्रतिशत  आदि की स्पष्ट समझ विकसित करेंगे।
     उक्त सभी चरणों का गणित के बुनियादी स्तर पर प्रयोग करके गणित सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को रोचक, सरल, सरस एवं ग्राह्य बनाया जा सकता है।

12-ध्यानाकर्षण 

   ऐसे बच्चे जिनका अधिगम स्तर कक्षा के अनुरूप नहीं है उनकी पहचान कर विशेष शिक्षण तकनीकों का प्रयोग करते हुए उन्हें कक्षा के अनुरूप अधिगम स्तर पर लाने के लिए इस  हस्तपुस्तिका का निर्माण किया गया है। 
    लर्निंग गैप को भरने के लिए इस हस्त पुस्तिका में प्रभावी शिक्षण तकनीकियां दी गई हैं। 
     अन्य शब्दों में ऐसे बच्चे जो मुख्यधारा से वंचित हो गए हैं उन्हें पुनः मुख्यधारा में जोड़ने के उद्देश्य से इस हस्त पुस्तिका का निर्माण किया गया है। इसमें चार भाग हैं 

       प्रथम भाग -

      इसमें आवश्यकता उद्देश्य एवं अपेक्षित अधिगम स्तर प्राप्त न कर पाने के कारणों के विषय में दिया गया है।

      द्वितीय भाग -

       इसमें लर्निंग आउटकम,  लर्निंग गैप एवं आकलन प्रपत्रों के माध्यम से बच्चों के चिन्हांकन , वर्गीकरण एवं समूहीकरण के बारे में चर्चा की गई है।

     तृतीय भाग -

        इसमें कक्षा शिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए तैयारियां एवं तकनीकियों के बारे में चर्चाएं एवं शिक्षण तकनीकी पर आधारित शिक्षण योजनाएं दी गई हैं ।


 चतुर्थ भाग  -

      इसमें आरंभिक परीक्षण प्रपत्र के कुछ नमूने एवं कक्षा 1 से 8 तक हिंदी, गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के सिलेक्टिव लर्निंग आउटकम और प्रभावी शिक्षण तकनीक तालिका के विषय में चर्चा की गई है।


13- शिक्षण तकनीकियां(18)

   
1- संसाधनों से पूर्ण कक्षा-कक्ष का वातावरण 
2- कक्षा प्रबंधन बैठक व्यवस्था
3- रोचक प्रस्तावना
 4-शिक्षण अधिगम सामग्री का उपयोग
 5-शैक्षिक गतिविधियां /नवाचार/ रोचक खेलो/ रोलप्ले /कहानी आदि का उपयोग
 6-प्रश्न पूछना
7- सीखने के लिए बातचीत 
8-बच्चों के लिए कार्यपत्रक
 9-सभी को शामिल करना
10- समूह कार्य 
11-जोड़ी में कार्य
12- परिवेशीय संसाधनों का उपयोग 13-अभ्यास के अवसर देना 
14-अर्जित ज्ञान की पुनरावृत्ति
15- सकारात्मक प्रतिपुष्टि देना
16- शैक्षिक भ्रमण
17- सरल से कठिन की ओर 
18-प्रोजेक्ट कार्य।


14- आरंभिक आकलन/परीक्षण प्रपत्र


प्राथमिक स्तर कक्षा 3, 4 एवं 5 के लिए आकलन प्रपत्रों का निर्माण किया जाएगा लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए कक्षा 4 और 5 के लिए भाषा एवं गणित के प्रपत्र आवश्यक रूप से बना लें क्योंकि कक्षा 1,2,3 के बच्चों की जांच के बारे में आधारशिला मॉड्यूल में फाउंडेशन लर्निंग शिविर के उद्देश्य से दी गई है इनके बारे में विस्तृत जानकारी के लिए आधारशिला मॉड्यूल पेज नंबर 12 एवं ध्यानाकर्षण मॉड्यूल पेज नंबर 10, 11,12, 13 एवं 14 पर देखें।


15- शिक्षण संग्रह


   इस हस्त पुस्तिका का निर्माण शिक्षकों की आवश्यकता एवं व्यवसायिक विकास को ध्यान में रखते हुए ,महत्वपूर्ण एवं उपयोगी जानकारियों, सूचनाओं एवं विभिन्न शैक्षिक संदर्भों को समेकित करते हुए किया गया है।
   इसमें लर्निंग आउटकम आधारित शिक्षण योजना, टाइम टेबल ,आईसीटी का प्रयोग ,व्यक्तित्व विकास की योजना, सीखने के लिए आकलन, विद्यालय नेतृत्व ,सामुदायिक सहभागिता, प्रतिदिन अलग-अलग प्रार्थनाएं ,समूह गान ,महत्वपूर्ण दिवस एवं  तिथियां , अन्य विभागों से सहयोग एवं समन्वय के विषय में विशद और विस्तृत वर्णन किया गया है।

16- शिक्षण योजना
Teaching Plan

शिक्षण योजना, पाठ योजना से थोड़ी भिन्न होती है। पाठ योजना किसी पाठ के प्रकरण पर आधारित होती है, जबकि शिक्षण योजना लर्निंग आउटकम आधारित होती है।


शिक्षण योजना निर्माण की विधि


शिक्षण की शुरुआत में

 सर्वप्रथम हम प्रेरणा सूची में दिए गए किसी लर्निंग आउटकम को चुनते हैं फिर यह देखते हैं कि उस लर्निंग आउटकम को आप किस पाठ के माध्यम से अपने बच्चों को प्राप्त करा सकते हैं। तत्पश्चात शिक्षण से पूर्व आप बच्चों के साथ क्या क्या बातचीत करेंगे इसके विषय में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु बच्चों के पूर्व अनुभवों से अर्थात् उनके परिवेश की ठोस वस्तुओं से चुनते हैं।

 शिक्षण के दौरान

 बच्चों को चिंतन और अनुप्रयोग के अवसर देने के लिए आप कोई गतिविधि ,दीक्षा एप का प्रयोग, टी एल एम का प्रयोग कर सकते हैं।

 शिक्षण के उपरांत

 इस भाग में आप समेकन, निष्कर्ष पूरी प्रक्रिया को दोहराते हुए मूल्यांकन करते हैं।

  स्वमूल्यांकन

 स्व मूल्यांकन में यह देखते हैं कि जिस लर्निंग आउटकम को आपने चुना था उस लर्निंग आउटकम को प्राप्त करने के लिए आपके द्वारा चयनित गतिविधि, टी एल एम, आईसीटी का प्रयोग कितना सफल रहा एवं कौन-कौन सी चुनौतियां आईं एवं उन चुनौतियों को दृष्टिगत रखते हुए आगामी कार्य योजना बनाते हैं।

     हिंदी भाषा की शिक्षण योजना ERAC पैटर्न पर होती हैं एवं गणित की शिक्षण योजना  ELPS के आधार पर होती हैं। शिक्षण योजना का प्रारूप आधारशिला हस्त पुस्तिका के पेज नंबर 60 , 61, 81 एवं 82 तथा शिक्षण संग्रह हस्तपुस्तिका के पेज नंबर 29, 30, 31 ,32 और 130 से 178 तक विभिन्न शिक्षण योजनाएँ दी गई हैं।

साभार - सोशल मीडिया ,goo gle,

मिशन प्रेरणा,(MISSION PRERNA) ALL INFO.

Mission motivation, e-school, including the entire mission motivation, including the content, definition, terminology, and usage.


All Principal, Assistant Teacher, Assistant, Education Friend Instructor Note this post:-

To explain and memorize the important information related to the mission stimulus to all the teachers of your development block -

1- MISSION PRERNA
    It is the highest ambitious program of the government, which is in motion from 5 September 2019, whose objective is defined in the Prerna Goal.
              Or is
This is the highest ambitious scheme of the government. It came into force on 5 September 2019.
The aim is to get grade qualification to all children studying in council schools.

2- PRERNA LAKSHY

 The minimum learning level prescribed class wise and subject wise is motivating.Which are prescribed for classes 1 to 5 for language and mathematics. Thus there are 5 language goals and 5 math goals.

Language - 5, 20, 30, small, 5, big, 5

Maths-5, 75, 75, 75, 75

3- PRERNA LIST

The list of class wise and subject wise expendables is the motivation list.
           or
The list of class-wise and subject-wise extension statues to be developed in children is called Inspiration List. 14–14 from classes 1 to 3 and 16–16 in classes 4 and 5 are prescribed. It is a staircase designed to climb the inspired roof.

4- PRERNA TABLE

The table showing the basic status of the class wise and subject holders earned by the children is called the motivation table. In this, only the skills mentioned in the enthusiasm list have been given, in addition to this, returns of students from 1 to 30 have been added and here we will write the names of students.
     

5- LEARNING OUTCOME

   It literally means learning outcomes / learning outcomes / learning denominations.

 But according to the sense in which this word is being used in text books / academic world, its meaning is something like this-
   
    Keeping in mind the learning of the students, the knowledge prescribed in the class wise, subject-wise lesson for the purpose of daily classroom teaching is divided into small parts called Learning Outcome or Expected Learning Outcome.
          
Or is

    As the level of class to be developed in the students, subject-wise, only those determined in the course are called the reward of managed learning.

   Or is

      Extension learning returns / suffixes reflected in children's behavior is called real learning outcome (actual learning outcome) or learning output.

Expect the results of learning by extension learning

Classroom level and subject-wise average competencies set in the lesson are managed learning outcomes (expected learning outcomes) / management learning outcomes / extension learning areas.

6- VASTAVIK ADHIGAM PRATIFAL

     The skills acquired by the child out of the reviews set out in the class wise and subject wise lessons which are reflected in his behavior are called real learning returns.

7- DIFFERENCE IN ACCESS LEVEL
     (LEARNING GAP)

Classroom-specific selection is the difference between the learning level and the actual learning level (difference in learning level).

EL-AL = LG
 
Expected Learning Outcome - Actual Learning Outcome = Learning gap

8- Learning - Learning Outcomes are divided into three categories in terms of teaching-


a-Focal Learning Outcomes Centric Learning Outcome

These are based on a broad view.

b-nested learning income
Nested learning income

     Nested means hidden underlying. These are contained within the Fossal Learning Outcome, which have been developed in order to guide the learning process and improve learning.

C- Deputy Learning Outcome

   The nested learning outcome is divided into sub-learning income, based on which teachers conduct classroom teaching.

There are four Foral Learning Outcomes for Language

1 - Hearing Speaking,
2- Reading and writing
3- Language structure and diversity
4- Imagination and Creativity

There are 5 Foural Learning Outcomes for Math -

1- Children use numbers to see and understand their environment quantitatively.

2- Children are firm in their use of mathematical operations by understanding the relationship between numbers.

3- Children are able to see a number or group of numbers in the form of its parts and express the understanding of various mathematical nouns with parts of numbers.

4- To understand and see the importance of various mathematical aspects of the place and quantity of the child and to express their fantasies.

5- Understand the importance of child's time, posture and figures and use it to improve their life.

9- ADHAARSHILA


      This handicraft book has been created with the objective of developing a deep, basic and clear understanding of language and mathematics in children of classes 1 and 2. This handicraft is written on the inner page of the cover page of Kika. But due to the Kovid-19 pandemic, it is estimated that the level of children of class 3 may have also come down to the level of class 2, so the use of this handicapped book is also effective for classes 1,2 and 3. However this includes ERAC based language activities and ELPS provenTeaching-learning process can be done effectively from grade 1 to 8 through mathematics-based mathematics teaching.
     This handbook has a look at language, mathematics and environmental studies in class 3, 4 and 5.
    
In this, there is a detailed discussion about the creation of a learning outcome based learning plan. Language learning schemes are given on ERAC pattern and Mathematics learning plans are given on the pattern of ELPS. It has 40 activities to develop listening and speaking skills and various activities frameworks that we can move from class 1 to 8 by increasing the difficulty level and teaching different topics from the same activity. Huh.


10-ERAC


E - Experience

        There are two types of experiences, one that the children have acquired, the other which the children will get after this activity. Now the question arises that why should children have experience, they enjoy playing, eating and drinking, what do they have to do with the experience. Children will experience when we start in an interesting way, so do not bring apples, oranges or toffee to start in an interesting way. It is also not possible that we can make a chart for each topic of every lesson of each subject, if we bring the TLM, then what should we do in such a way that the interesting interest starts in a full way?

      In such a situation, we need to start from the experiences of the children, that is, their family, neighborhood, village, fields and things in the school which will be interesting to them, after that, in the context of contemplation, by challenging them. Opportunities will be given in this work, interestingness challenge and participation of all children is mandatory.

R - Reflection (Thinking and Analysis)

      As soon as a challenging context, environment is created in front of the child, children will create new ideas by reasoning, thinking, imagining and guessing, so that learning will be ensured. For thinking, ask questions starting with why, how and if. Otherwise listen, no one listens, no one pays attention by saying, no one thinks and no one thinks by saying and no one thinks. Any person listens when he realizes that you are talking about his work. The person thinks when he is challenged and has open-ended questions.

A- Application
     
        After the above two steps, give opportunities to use the knowledge learned in other context, second context, second environment and second situation, in practice, in your real life, in groups with other children.

C-Consolidation (consolidation / conclusion)
   
        Repeating the whole process to find out through the conversation how the children were thinking for the first time. After that, how were you thinking during the application, whom were they saying good or bad and why were they saying, as well as it is necessary to connect with learning income. Explanation is required here.

11.ELPS -

E-Experience (Experience)
        
        Playing with concrete / tangible objects around and in the school will give children opportunities to reverse them. Through them, teach counting, number sense, number sense and addition and subtraction.

L- Language (Language)

         They will talk about the things that the children have encountered.

P-Picture (Picture)



       Every type of concrete object is not there, for example, we will not be able to bring elephants there, we will not be able to bring trains there, we will not be able to bring them there, so now after talking on concrete objects, books, charts and paintings on the walls Through will repeat the same process and have a conversation.

S -Symbol (symbol)

        After completing the above three steps in order, now symbols / signs ie digits, numbers, signs (1,2,3 ...., 24, 36 ...., + add, - subtract, × multiply, ÷ part , Will develop clear understanding of equal,% percent etc.
     By using all the above steps at the basic level of mathematics, the process of teaching and learning mathematics can be made interesting, simple, succulent and acceptable.

12-DHYANAKARSHAN


   This handbook has been created to identify children whose learning levels are not in conformity with the class and using special teaching techniques to bring them to the learning level corresponding to the class.
    This handbook provides effective learning techniques to fill the learning gap.
     In other words, this handbook has been produced with the aim of bringing back children who have been deprived of the mainstream. It has four parts

       First part -

      In this, the purpose is given about the purpose and reasons for not achieving the required learning level.

      Second part -

       It discusses the identification, classification and grouping of children through learning income, learning gap and assessment forms.

     Third part -

        In this, discussions about preparations and techniques and teaching schemes based on teaching techniques are given to make classroom teaching effective.


 Fourth part -

      In this, some samples of the initial test form and selective learning output of Hindi, Mathematics, Science and English from class 1 to 8 and effective teaching techniques table are discussed.


13- TEACHING TECNIQUIS 
   
1- Resourceful classroom environment
2- Classroom Management
No seating arrangement
3- Interesting introduction
 Use of 4-learning materials
 5-Use of educational activities / innovation / interesting play / roleplay / story etc.
 6-ask questions
7- Talk for learning
8-worksheet for children
 9-Involving all
10- Group work
11-pair work
12- Using ambient resources 13- Giving opportunities for practice
14-Recurrence of acquired knowledge
15- Giving positive feedback
16- Educational excursion
17- From simple to difficult
18-project work.


14- Initial Assessment / Test Form

Assessment forms for primary level classes 3, 4 and 5 will be created but keeping in view the current circumstances, language and mathematics forms must be made for classes 4 and 5 as the children of class 1,2,3 are screened Regarding the purpose of foundation learning camp in Adharshila Module is given for detailed information about them, see Adharshila Module on page number 12 and Calling Module page number 10, 11,12, 13 and 14.


15- Teaching Collection

   This handbook has been created keeping in view the requirement of teachers and professional development, integrating important and useful information, information and various academic references.
   This includes learning income based learning plan, time table, use of ICT, planning for personality development, assessment for learning, school leadership, community participation, individual prayers everyday, group anthem, important days and dates, cooperation and coordination with other departments The subject is detailed and detailed.

16- Learning Plan
Teaching Plan

The learning plan is slightly different from the lesson plan. The lesson plan is based on the topic of a lesson, while the learning plan is based on the learning outcome.

Method of teaching planning

At the beginning of teaching

 First we choose a learning outcome given in the motivation list and then see that through which lesson you can get that learning income to your children. After that, before learning, some important points about what you will interact with the children, choose from the prior experiences of the children i.e. concrete objects of their surroundings.

 While teaching

 You can use any activity, initiation app, TLM, to give children opportunities for thinking and application.

 Post teaching

 In this section you evaluate consolidation, conclusion repeating the whole process.

  Self assessment


 In self assessment, we see how successful your chosen activity, TLM, ICT has been to achieve the learning outcome you had chosen and what challenges came and keeping those challenges in view The following work plans.

     The Hindi language learning plans are based on the ERAC pattern and the mathematics learning plans are based on the ELPS. The format of the teaching scheme has been given from the pages of the cornerstone handbook, pages 60, 61, 81 and 82 and various teaching plans from pages 29, 30, 31, 32 and 130 to 178 of the teaching manual.

Sincerely - social media, goo gle,

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