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शिक्षकों के लिए मुश्किल काम बना DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर फीडिंड)।

शिक्षकों के लिए मुश्किल काम बना DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर फीडिंड)शिक्षकों से बाबू वाला काम संपादकीय में आज।



संपादकीय - मिशन प्रेरणा फेसबुक पेज से 

डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर फीडिंड........

निश्चित रूप से आपको यह सुनकर आश्चर्य हो और शायद हास्यास्पद भी लगे अक्सर शिक्षकों को बदनाम किया जाता है कि वह बच्चों को पढ़ाने में ध्यान नहीं देते। बच्चों को नई किताब में तो मिल गई हैं पर साथ ही शिक्षकों को कंप्यूटर में डाटा फीडिंग जैसे काम भी दे दिए गए हैं।


जबकि इसके पहले सभी आंकड़े शिक्षकों ने कागजों में उपलब्ध करा दिए हैं।


आप सोच रहे होंगे किस बात की डाटा फिटिंग निश्चित रूप से यदि किसी व्यक्ति का खाता उसके आधार से लिंक है तो इस प्रकार के खातों में ही सरकार की सब्सिडी का पैसा जाना है और यदि इसमें एक भी त्रुटि होती है तो वह लाभ सरकार के द्वारा भेजे जाने के बावजूद जनता तक नहीं पहुंचता।


अतः इस गंभीर कार्य में सभी आंकड़े सही जा सके इसके लिए शिक्षक की जिम्मेदारी रहती थी। अतः विद्यालय में पढ़ने वाले सभी बच्चों के माता-पिता से उनका खाता आधार इत्यादि एकत्र कर उसे शिक्षा विभाग को सौंप दिया गया। नित प्रति आए आदेशों का पालन करता शिक्षक अपने 2 साल के बाद विद्यालय पहुंचे नौनिहालों को पढ़ाने का समय नहीं दे पा रहा है ।


एक तरफ कोर्ट अक्सर कहता हुआ सुना जाता है कि शिक्षक से शिक्षण के सिवा अन्य कार्य न कराए जाएं ऐसा करने से बच्चों का नुकसान होता है, परंतु रोज ही शिक्षक को उलझाने वाले कामों में रखा जाता है और इन सब से शिक्षकों में मानसिक वेदना व्याप्त हो रही है।


(डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर)

 DBT का full form Direct Benefit Transfer है जो सब्सिडी को जनता के खाते में स्थानांतरित करने के ढाँचे को बदलने की एक योजना है।


डीबीटी यानी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम के कारण करप्शन में काफी कमी आई है और लोगों को सरकार की तरफ से मिलने वाला लाभ सीधे उनके अकाउंट तक पहुंच पा रहा है, बीच में होने वाले करप्शन को पूरी तरह खत्म किया जा चुका है। और इस योजना की सफलता हेतु शिक्षकों ने प्रत्येक बच्चे के अभिभावक का आधार व अकाउंट का डिटेल शिक्षा विभाग को पिछले 3 महीने में लगकर एकत्र किया और उपलब्ध भी कराया है।


     शिक्षा विभाग में भी यह लागू होने जा रहा है यानी कि बेसिक विद्यालयों तथा सरकार के अधीन विद्यालयों में मिलने वाली वह सभी वस्तुएं जो बच्चों के लिए उपलब्ध कराई जाती थी अब सीधे उनके खाते में पहुंचेगी फिर वह मिड डे मील के खाने का पैसा हो ड्रेस का पैसा हो जूते मोजा हो बस्ता हो।


समस्या 

       इस तरह के आंकड़े शिक्षकों से मांगे जा रहे हैं कागज में देना फिर भी ठीक है परंतु अब विशेष ऐप में उसे फीड करके देना क्या शिक्षक के शोषण के स्तर की अति नहीं हो गई शिक्षक को विभिन्न परीक्षाएं पास कराकर विद्यार्थी को पढ़ाने के लिए तैयार किया गया था ना कि दिन प्रतिदिन बढ़ते डिजिटलाइजेशन के बोझ के नीचे दबाने के लिए बहुत से पुराने अध्यापक हैं जो एंड्राइड मोबाइल ढंग से चला भी नहीं पाते उनसे आप ऐप के माध्यम से फील्डिंग की अपेक्षा क्यों कर रहे हैं और जो अध्यापक फीड नहीं करेगा उस को सस्पेंड करने की धमकी दी जा रही है वाकई कंफ्यूजन हो रहा है कि शिक्षक की नियुक्ति बच्चों को पढ़ाने के लिए की गई थी या फीडिंग जैसे बाबू के स्तर के काम को करने के लिए..????


   आज अधिकतर विद्यालयों में शिक्षक अवसाद ग्रस्त होता जा रहा है इसलिए नहीं कि उसे बच्चों को पढ़ाना है बल्कि इसलिए कि उसे बच्चों के पढ़ाने के सिवा अन्य वह सभी कार्य करने हैं जो उसके लिए नहीं बनाए गए।


       बेसिक के विद्यालय दूरदराज के क्षेत्रों में होते हैं जहां की नेटवर्क की सुविधा भी नहीं है वहां बैठकर अनट्रेंड शिक्षक डाटा फीडिंग जैसे काम करें यह कैसे संभव है और यदि खाते तथा आधार में एक भी अंक की त्रुटि होती है तो वह लाभ सीधे बेनेफिशरी तक नहीं पहुंच पाएगा जिससे निश्चित रूप से हमारे राज्य और हमारे देश की योजना का लाभ पहुंचने में क्षति होगी।


      शिक्षा विभाग में शिक्षकों के ऊपर मॉनिटरिंग के लिए खंड शिक्षा अधिकारी के कार्यालय बनाए गए हैं जहां पर एक ऑपरेटर, तीन संविदा पर नियुक्त ऑपरेटर तैनात है ।इस तरह की फील्डिंग बहुत ही सुविधाजनक तरीके से कराई जा सकती है जिसमें त्रुटि होने की संभावना भी ना के बराबर है।


   आज पूरे प्रदेश में डीबीटी फीडिंग हेतु एक ट्रेनिंग का आयोजन किया गया जिसमें ट्रेनर स्वयं भ्रामक जानकारी दे रहे थे और शिक्षकों को यह बता रहे थे कि एस आर रजिस्टर में संशोधन करें जो आधार कार्ड में फीड है वही माना जाएगा जबकि विभिन्न शैक्षिक माध्यमों द्वारा शिक्षकों को बताया गया है कि आधार में सुधार किया जा सकता है पर विद्यालय रजिस्टर डाटा अपरिवर्तनशील , उसमें फ्लूड लगाना एक अपराध होता है। इस प्रकार की ट्रेनिंग में ऐसी जानकारी शिक्षकों को और भ्रमित करती है।


         यदि बीआरसी स्तर पर कंप्यूटर ऑपरेटर नियुक्त है तो सरकार की महत्वकांक्षी योजना को खिलवाड़ बनाते हुए शिक्षकों को मानसिक रूप से परेशान क्यों किया जा रहा है जबकि इस तरह की फीडिंग करने के लिए शिक्षक को कोई ट्रेनिंग  नहीं दिया  रहा, इस तरह की फीडिंग के लिए शिक्षको को कोई फंड नहीं दिया जा रहा ।यह सब उन्हें अपने ज्ञान के आधार पर करना है, हां एक ट्रेनिंग जरूर आयोजित की गई वह भी ऑनलाइन।


सभी संगठनों को शिक्षकों के इस प्रकार के मानसिक वेदना पूर्ण शोषण को रोकने के लिए सरकार से गुहार करनी चाहिए .......तथा शिक्षक द्वारा दिए गए सभी आंकड़ों को एक ऑपरेटर के द्वारा फीड कराने हेतु आग्रह किया जाना चाहिए।



         डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर वाकई बहुत ही अच्छी योजना है हो सकता है परिवारों तक सीधे लाभ पहुंचने के बाद गुणवत्तापूर्ण ड्रेस बैग और जूते बच्चों को उपलब्ध हो जाए इसी आशा के साथ हम सभी इस योजना की बेहतरीन सफलता हेतु प्रयासरत है पर जिन कार्यों के लिए ट्रेनिंग नहीं दी गई और अनभिज्ञता है उनसे शिक्षकों को मुक्त रखना चाहिए ताकि वह अपना पूरा ध्यान देश के नौनिहालों के भविष्य को उज्जवल बनाने में लगा सके अपना पूरा मन अपनी पूरी एनर्जी बच्चों को पढ़ाने में लगा सके।


      बताते चले बेसिक शिक्षा विभाग में लगभग हर बीआरसी में एक परमानेंट कंप्यूटर ऑपरेटर तीन संविदा कर्मी के रूप में नियुक्त कंप्यूटर ऑपरेटर और तीन कार्यालय सहायक जिन्हें कंप्यूटर का ज्ञान होना आवश्यक था इनसे इस प्रकार की फीडिंग का कार्य क्यों नहीं लिया जा रहा है??


        शिक्षक की इस गंभीर समस्या का निवारण करते हुए बीआरसी स्तर पर फीडिंग का काम खंड शिक्षा अधिकारी महोदय के द्वारा करा लिया जाना ही शिक्षक और शिक्षार्थी के हित में होगा। इस प्रकार नियुक्त कर्मचारी जहां गुणवत्ता पूर्ण फीडिंग भी कर सकेंगे वहीं सरकार की योजनाओं का समुचित लाभ जनता तक पहुंच सकेगा और शिक्षक भी अपनी प्रफुल्ल मानसिकता के साथ बच्चों को अपना पूरा ध्यान और अपनी पूरी ऊर्जा के साथ पढ़ा पाएगा।

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साभार - सोशल मीडिया पर शिक्षकों की प्रतिक्रिया से प्राप्त।


Disclaimer - उपरोक्त दिया गया व्यक्तव्य शिक्षकों द्वारा आ रही डीबीटी सेटिंग समस्याओं के संबंध में लिखे लेख को फेसबुक से लिया गया है, इसका किसी भी प्रकार का लेख अथवा कमेंट वेबसाइट के द्वारा नहीं बनाया गया है।

यह लेख आप की जानकारी एवं ज्ञान वृद्धि हेतु है एवं शिक्षकों को आ रही समस्याओं से सभी को अवगत कराने हेतु है।

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