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मास्साब का स्कूटर एक अद्भुत कथा।

मास्साब का स्कूटर एक अद्भुत कथा।

कहानी


एक बार की बात है,

प्रवीण भारती जी, पेशे से प्राइमरी अध्यापक थे। 


कस्बे से विद्यालय की दूरी 7 किलोमीटर थी।


 एकदम वीराने में था उनका विद्यालय।


 कस्बे से वहाँ तक पहुंचने का साधन यदा कदा ही मिलता था, तो अक्सर लिफ्ट मांगके ही काम चलाना पड़ता था और न मिले तो प्रभु के दिये दो पैर, भला किस दिन काम आएंगे। 


"कैसे उजड्ड वीराने में विद्यालय खोल धरा है सरकार ने, इससे भला तो चुंगी पर परचून की दुकान खोल लो।"

 लिफ्ट मांगते, साधन तलाशते प्रवीण जी रोज यही सोचा करते। 😪😪


धीरे धीरे कुछ जमापूंजी इकठ्ठा कर, उन्होंने एक स्कूटर ले लिया।


 चेतक का नया चमचमाता स्कूटर।


 स्कूटर लेने के साथ ही उन्होंने एक प्रण लिया कि वो कभी किसी को लिफ्ट को मना न करेंगें।।


 आखिर वो जानते थे जब कोई लिफ्ट को मना करे तो कितनी शर्मिंदगी महसूस होती है। 🛵😇


अब प्रवीण जी रोज अपने चमचमाते स्कूटर से विद्यालय जाते, और रोज कोई न कोई उनके साथ जाता। लौटते में भी कोई न कोई मिल ही जाता।🛵👬


एक रोज लौटते वक्त एक व्यक्ति परेशान सा लिफ्ट के लिये हाथ फैलाये था, , अपनी आदत अनुसार प्रवीण जी ने स्कूटर रोक दिया। वह व्यक्ति पीछे बैठ गया। 🛵👬


थोड़ा आगे चलते ही उस व्यक्ति ने छुरा निकाल प्रवीण जी की पीठ पर लगा दिया। 🕵🏽‍♂️🔪


"जितना रुपया है वो, और ये स्कूटर मेरे हवाले करो।" व्यक्ति बोला। 🕵🏽‍♂️🔪💵🛵


प्रवीण जी की सिट्टी पिट्टी गुम, डर के मारे स्कूटर रोक दिया। पैसे तो पास में ज्यादा थे नहीं, पर प्राणों से प्यारा, पाई पाई जोड़ कर खरीदा स्कूटर तो था। 😪😓


 "एक निवेदन है," स्कूटर की चाभी देते हुए प्रवीण जी बोले । 😇


"क्या?" वह व्यक्ति बोला। 🧐


"यह कि तुम कभी किसी को ये मत बताना कि ये स्कूटर तुमने कहाँ से और कैसे चोरी किया, विश्वास मानो मैं भी रपट नहीं लिखाउँगा।" प्रवीण जी बोले। 😇


"क्यों?" व्यक्ति हैरानी से बोला। 🧐


"यह रास्ता बहुत उजड्ड है, निरा वीरान | सवारी मिलती नहीं, उस पर ऐसे हादसे सुन आदमी लिफ्ट देना भी छोड़ देगा।"  प्रवीण जी बोले।😪


व्यक्ति का दिल पसीजा, उसे प्रवीण जी भले मानुष प्रतीत हुए, पर पेट तो पेट होता है। 'ठीक है कहकर' वह व्यक्ति स्कूटर ले उड़ा। 🛵💨




अगले दिन प्रवीण जी सुबह सुबह अखबार उठाने दरवाजे पर आए, दरबाजा खोला तो स्कूटर सामने खड़ा था। प्रवीण जी की खुशी का ठिकाना न रहा, दौड़ कर गए और अपने स्कूटर को बच्चे जैसा खिलाने लगे, देखा तो उसमें एक कागज भी लगा था।🛵📝


 "मास्साब, यह मत समझना कि तुम्हारी बातें सुन मेरा हृदय पिघल गया। 😏


कल मैं तुमसे स्कूटर लूट उसे कस्बे ले गया, सोचा भंगार वाले के पास बेच दूँ।

"अरे ये तो मास्साब का स्कूटर है। 🤨" इससे पहले मैं कुछ कहता भंगार वाला बोला। 


"अरे, मास्साब ने मुझे बाजार कुछ काम से भेजा है।" कहकर मैं बाल बाल बचा। परन्तु शायद उस व्यक्ति को मुझ पर शक सा हो गया था। 🛵👀🏃‍♂️


फिर मैं एक हलवाई की दुकान गया, जोरदार भूख लगी थी तो कुछ सामान ले लिया। "अरे ये तो मास्साब का स्कूटर है।🤨" वो हलवाई भी बोल पड़ा। "हाँ, उन्हीं के लिये तो ये सामान ले रहा हूँ, घर में कुछ मेहमान आये हुए हैं।" कहकर मैं जैसे तैसे वहां से भी बचा। 🛵👀🏃‍♂️


फिर मैंने सोचा कस्बे से बाहर जाकर कहीं इसे बेचता हूँ। शहर के नाके पर एक पुलिस वाले ने मुझे पकड़ लिया।👮🏽‍♂️


"कहाँ, जा रहे हो और ये मास्साब का स्कूटर तुम्हारे पास कैसे।🤨" वह मुझ पर गुर्राया। किसी तरह उससे भी बहाना बनाया। 🛵👀🏃‍♂️💨


हे, मास्साब तुम्हारा यह स्कूटर है या आमिताभ बच्चन। सब इसे पहचानते हैं। 😪 आपकी अमानत मैं आपके हवाले कर रहा हूँ, इसे बेचने की न मुझमें शक्ति बची है न हौसला। आपको जो तकलीफ हुई उस एवज में स्कूटर का टैंक फुल करा दिया है।🙁"


पत्र पढ़ प्रवीण जी मुस्कुरा दिए, और बोले। "कर भला तो हो भला।" 😄 😜


💐🍱आप सभी देवियों और सज्जनों को सपरिवार प्रकाश पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 💐🍱

🙏🙏🙏

दीपावली पर्व की हार्दिक बधाई

🙏🏻 ।


नोट -

एक काल्पनिक कथा 

साभार सोशल मीडिया

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