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एक दिन के वेतन कटवाने के तुगलकी फरमान का विरोध करते हुए मा0 मुख्यमंत्री जी से मृत बेसिक कर्मियो के आश्रितो को 1 करोड मुवाबजा व नौकरी शीघ्र देंने की मांग की ।

शिक्षक संगठन द्वारा एक दिन के  वेतन कटवाने के तुगलकी फरमान  का विरोध करते हुए मा मुख्यमंत्री जी से माँग की कि सरकार मृत बेसिक कर्मियो के आश्रितों को 1 करोड मुवाबजा व नौकरी शीघ्र दें ।





29 मई 2021 बिशिष्ठ बी टी सी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश ने वर्चुवल बैठक कर निर्णय लिया गया कि कतिपय संगठन द्वारा एक दिन के  वेतन कटवाने के फरमान  का विरोध करते हुए मा मुख्यमंत्री जी से माँग की कि सरकार मृत बेसिक कर्मियो आश्रिता  को 1 करोड मुवाबजा व नौकरी  शीघ्र दें अन्यथा की स्थिति में अब तक के फ्रीज बेसिक शिक्षको के डीए  का लगभग 4000 करोड व पिछले वर्ष दिया गए 76 करोड को मिलाकर वेसिक शिक्षक आकस्मिक सहायता फंड (कोष) का करें निर्माण ! जिससे लगभग 2000 शिक्षको/कर्मचारियो व अधिकारियो की मृत्यु हुए उनके आश्रितों को एक करोड़  भुगतान कर, शेष धन आकस्मिक फंड में  सुरक्षित रखा जाए जिसका उपयोग भविष्य में आकस्मिक दुर्घटना पर किया जा सके। यदि सरकार आकस्मिक फंड बना कर भविष्य मे किसी भी बेसिक कर्मी के मृत्यु पर 1 करोड मुवाबजा देने का वादा करे  तो संगठन प्रति वर्ष  अपने सदस्यो के 1 दिन के वेतन देने से पीछे नही रहेगा।

ऐसे मे किसी भी अध्यापक का विना सहमति वेतन न काटा जाए।

 एसोसिएशन उपरोक्त दोनों विकल्पों  मे से एक पर शीघ्र निर्णय लेने की माँग सरकार से करता है अन्यथा एसोसिएशन आंदोलन के लिए  बाध्य होगा । वेतन कटौती सरकार के द्वारा कराने को एसोसिएशन ने औचित्य हीन बताया इसमें सरकार का कोई रोल नहीं है शिक्षक वैसे भी पीडित परिवारों को मदद करने से पीछे नही हटता ।                            सौजन्य से  -                          विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश



शिक्षकों सेे बिना राय मशवरा किये स्वंय के द्वारा पत्र से आदेश दिया - उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश - सुशील कुमार पांडेय

अति आवश्यक संदेश

समस्त शिक्षक साथी/अध्यक्ष मंत्री/पदाधिकारीण

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश

(सम्बद्ध अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ नई दिल्ली)

जुझारू शिक्षक साथियों 

हम सब इस घटना से अतयन्त पीड़ित व दुःखी है कि पंचायत निर्वाचन के दौरान कोरोना महामारी से हम अपने लगभग 2 हजार शिक्षक कर्मचारी साथियों को खो चुके है वहीं पंचायत निर्वाचन को स्थगित करने के लिये उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश (सम्बद्ध अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ नई दिल्ली) सरकार एंव निर्वाचन आयोग से अनुरोध करता रहा परन्तु निर्वाचन आयोग मनमानी की हठ करते हुये निर्वाचन सम्पन्न कराया जिसका खमियाजा हम सभी को भुगतना पड़ रहा है। ऐसे में हम अपने दिवगंत साथियों को वापस तो नही ला सकते परन्तु हम उनके परिजनों की सहायता करने के लिये संघर्ष कर सकते है। जिसके लिये उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश सरकार व निर्वाचन आयोग से अपने दिवंगत साथियों के परिजनों को आर्थिक लाभ व परिजनों को तृतीय श्रेणी के पद पर नियुक्ति दिये जाने हेतु मांग करते हुये संघर्षरत है। 

हम सभी इस बात से भी अवगत है कि कुछ दलाल,घूसखोर,अवैध धन वसूली करने वाले तथाकथित शिक्षक हितैषी अपने ही साथियों का नुकसान कराकर स्वंय की राजनीति को चमकाने में मशगुल रहते है जिन्हे अपने साथियों एंव उनके परिवार का जरा सा भी ख्याल नही रहता। ये ऐसे लोग है जो निरन्तर पहले आनदोलन की घोषणा और बाद में सरकारी महकमा से वार्ता कर अपने ही साथियों का मनोबल गिराकर धोखा देकर शिक्षकों सेे बिना राय मशवरा किये स्वंय के द्वारा पत्र से आदेश दिया जाता है कि सभी शिक्षक साथी पैसा जमा करे और आर्थिक सहयोग करें। इन्हे स्ंवय को दिखाना रहता है कि हम ही ठेकेदार है जिनके कहने पर प्रदेश के शिक्षक अपना सर कटाने को तैयार है जबकि सच ये है कि शिक्षकों के पैसे से स्ंवय को आर्थिक मजबुत करना रहा है। आप सब यह भली भांति परिचित है कि प्रदेश के शिक्षक ऐसे दलाल, घूसखोर, अवैध धन वसूली करने वाले तथाकथित शिक्षक हितैषियों को पूरी तरह नकार चुके है। 

साथियों उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ नई दिल्ली से सम्बद्ध संगठन जो कि विश्व शिक्षक संगठन से सचालित है और उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश प्रदेश के लाखों लाख परिवार का संगठन है संगठन अपने परिवार के हितो की रक्षा के लिय है न कि उन्हे ही प्रताडित करने के लिये है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश अपने साथियों के हित के लिये सरकार से लड़कर ,संघर्ष करके ही कुछ पाया है निरन्तर संघर्ष करता रहा है और वर्तमान में भी संघर्षरत है। संगठन के आवाहन पर प्रदेश के लाखों शिक्षकों के द्वारा अभी पिछले वर्ष ही प्रदेश सरकार को अपना आर्थिक सहयोग किया गया जो कि प्रदेश की सबसे बड़ी धनराशि थी। अब ऐसे में संगठन द्वारा संघर्ष के बजाय अपने साथियों एंव परिवार का एक बार पुनः आर्थिक नुकसान कराना उनके हित में नही होगा। जबकि उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के विभिन्न जनपदों में जनपदीय पदाधिकारी शिक्षक साथी जनपद स्तर पर स्वंय से आगे बढ़कर अपने दिवगंत साथियों की आर्थिक सहायता व व्यक्गित सहयोग कर रहे है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश (सम्बद्ध अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ नई दिल्ली) द्वारा अपने साथियों के हक व हितों के लिये प्रयासरत संघर्षरत रहते हुये अपने साथियों की मांग को सरकार के सामने रखते हुये संघर्ष का रास्ता अपनाता है।

साथ ही उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश (सम्बद्ध अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ नई दिल्ली) प्रदेश के विभिन्न शिक्षक संगठन एंव कर्मचारी संगठन से अपील करता है कि अपने साथियों के हितों की रक्षा के लिये एकजुट होकर संघर्ष किया जाना अति आवश्यक है।

 उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश (सम्बद्ध अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ नई दिल्ली) द्वारा सरकार व विभाग एंव निर्वाचन आयोग से मांग है:-

1.पंचायत निर्वाचन के दौरान कोरोना महामारी से संक्रमित दिवंगत शिक्षक साथियों के परिजनों को आर्थिक लाभ (50 लाख से 1 करोक तक) दिया जाये।

2.पंचायत निर्वाचन के दौरान कोरोना महामारी से संक्रमित दिवंगत शिक्षक साथियों के परिजनों को तृतीय श्रेणी के पद पर नियुक्ति दिया जाये।

इसलिये उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश अपने परिवार के लिये संघर्षरत है साथ ही उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ विभिन्न जनपदों के जनपदीय पदाधिकारी, शिक्षक साथी जनपद स्तर पर विभन्न संगठन से एकजुटता का परिचय देते हुये स्वंय आगे बढ़कर अपने दिवगंत साथियों की आर्थिक सहायता व व्यक्गित सहयोग कर रहे है और निरतंर करते रहेगें। इसके लिये उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश आप सभी का आभार प्रकट करता है।

धन्यवाद

सुशील कुमार पाण्डेय

अध्यक्ष

उमाशंकर सिंह

महामंत्री

ठाकुरदास यादव

कोषाध्यक्ष

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश

सम्बद्ध अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ नई दिल्ली


युटा के ग्रुप से

किसी का वेतन नही कटने दिया जायेगा,जब तक शिक्षक स्वयं स्वैच्छित सहमति न प्रदान कर दे,स्वेच्छा से किये गये दान शिक्षक के नाम ही रहेगा।किसी संगठन विशेष के नाम नहीं।शिक्षकों का वेतन,शिक्षकों का व्यक्तिगत है,सार्वजनिक नहीं।उस पर किसी एक संगठन का सर्वाधिकार नहीं।जिस शिक्षक को स्वेच्छिक दान करना होगा,जब तक वह स्वेच्छा से लिखित सहमति नहीं देगा,तब तक उसका वेतन कदापि नहीं कटने दिया जायेगा,पुरुजोर विरोध होगा।यदि जबरिया काटा जाता है,तो उच्च न्यायालय की भी शरण यथास्थिति को देखते हुये लिया जायेगा।सभी शिक्षकों से अनुरोध है कि कोई भी शिक्षक किसी दबाव में आकर कदापि वेतन दान न दें।हम आपके साथ हैं"- बलबीर सिंह,जिलासंयोजक,यूटा,अयोध्या🙏🏻🙏🏻


What's app से


शिक्षक हित विशेष.......?


ये हैं प्रमुख मुद्दे -

 

इनसे निम्नलिखित प्रश्न का जवाब लेना मुनासिब होगा........


1-क्या प्रत्येक शिक्षक अपने डी ए के रूप में प्रत्येक महीने 2 दिन के करीब वेतन नहीं दे रहा है?


2- पहल और tsct जैसे संगठनों के द्वारा जब अध्यापक स्वयं एक दूसरे की मदद कर रहे हैं तो आपका राजनीति चमकाने वाला स्टंट कितना वाजिब है?


3- आपने डी ए और पुरानी पेंशन जैसे मुद्दे पर कितना कार्य किया है?


4-आप ने अभी तक व्यक्तिगत रूप से कितनों की मदद किया है इसका स्टेटमेंट सार्वजनिक रूप से प्रेषित करें।


5-आप सभी शिक्षकों के ठेकेदार तभी बन सकते हैं जब आप का निर्वाचन लोकतांत्रिक तरीके से हुआ हो..... जब प्रदेश स्तर पर कई संगठन हैं तो आप अकेले अपनी राजनीति चमकाने के लिए ओछी हरकतें क्यों कर रहे हो?


6-जनपद के अंदर स्थानांतरण जैसे मुद्दे पर आपकी टीम ने कितना दबाव बनाया।


7-पूर्व में ग्रीष्मावकाश में कार्य करने पर उपार्जित अवकाश मिलता था।आज उपार्जित अवकाश और प्रतिकर अवकाश जैसे मुद्दे हवा हवाई हैं...आखिर क्यों?


ऐसे छद्म शिक्षक हितैषियों का भंडाफोड़ आवश्यक है।इनके प्रत्येक अनैतिक कार्य का विरोध होना चाहिए।यदि वेतन कटने जैसी कोई बात होती है तो पूरी प्रक्रिया का अनुपालन होना चाहिए। प्रत्येक शिक्षक से सहमति लिया जाए,जिसकी सहमति हो उसका काटा जाए।आज विरोध नहीं किया गया तो ऐसे पदलोलुप शिक्षकों का बेड़ा गर्क करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।"


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75 जिला अध्यक्ष, 75 महामंत्री, 75 कोषाध्यक्ष, लगभग 800 ब्लॉक अध्यक्ष, महामंत्री, कोषाध्यक्ष कुल मिलाकर 2625 अपना एक माह का वेतन देकर सहायता क्यों नहीं करते?


नयी दिल्ली- 

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और जिला प्रशासन को दिए निर्देश, कहा उन बच्चों की जिम्मेदारी उठाई जाए जिनके माता-पिता की कोविड की वजह से मौत हो गई है।

कोर्ट ने कहा कि प्रशासन अनाथ बच्चों की जिम्मेदारी लें और सुनिश्चित करें कि उनकी बुनियादी ज़रूरतें तुरंत पूरी हों, एक भी बच्चा भूखा न रहे। 

कोर्ट ने सभी राज्यों और केन्द्र सरकार से इसके आ़कडे भी मांगे हैं।



"एक दिन का वेतन काटकर देने की बात जरूर कही है लेकिन इसमें संगठन का क्या योगदान माना जाये , ये तो शिक्षक साथियों का ही योगदान माना जायेगा।

अच्छा होता कि शिक्षक साथियों से चंदे के रूप में वसूले गए धन से संगठन कुछ सहायता कोरोना पीड़ितों के परिवारों को करने की घोषणा करता।"


नोट -

उपरोक्त सभी कथन,ज्ञापन,पत्र,WhatsApp chat सोशल मीडिया से लिए गए हैं।

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