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उच्च प्राथमिक विद्यालय 6,7,8 की समय सारिणी मिशन प्रेरणा के अनुसार

उच्च प्राथमिक विद्यालय 6,7,8 की समय सारिणी मिशन प्रेरणा के अनुसार जारी

1. दो शिक्षकों पर आधारित उच्च प्राथमिक विद्यालय 6,7,8 की समय सारिणी मिशन प्रेरणा के द्वारा जारी




2.तीन शिक्षकों पर आधारित उच्च प्राथमिक विद्यालय 6,7,8 की समय सारिणी मिशन प्रेरणा के द्वारा जारी


एक कहानी किसान की घड़ी बोनस में 



 एक दिन की बात है. एक किसान अपने खेत के पास स्थित अनाज की कोठी में काम कर रहा था. काम के दौरान उसकी घड़ी कहीं खो गई. वह घड़ी उसके पिता द्वारा उसे उपहार में दी गई थी. इस कारण उससे उसका भावनात्मक लगाव था. 

उसने वह घड़ी ढूंढने की बहुत कोशिश की. कोठी का हर कोना छान मारा. लेकिन घड़ी नहीं मिली. हताश होकर वह कोठी से बाहर आ गया. वहाँ उसने देखा कि कुछ बच्चे खेल रहे हैं. 

उसने बच्चों को पास बुलाकर उन्हें अपने पिता की घड़ी खोजने का काम सौंपा. घड़ी ढूंढ निकालने वाले को ईनाम देने की घोषणा भी की. ईनाम के लालच में बच्चे तुरंत मान गए.

कोठी के अंदर जाकर बच्चे घड़ी की खोज में लग गए. इधर-उधर, यहाँ-वहाँ, हर जगह खोजने पर भी घड़ी नहीं मिल पाई. बच्चे थक गए और उन्होंने हार मान ली. 

किसान ने अब घड़ी मिलने की आस खो दी. बच्चों के जाने के बाद वह कोठी में उदास बैठा था. तभी एक बच्चा वापस आया और किसान से बोला कि वह एक बार फिर से घड़ी ढूंढने की कोशिश करना चाहता था. किसान ने हामी भर दी.


बच्चा कोठी के भीतर गया और कुछ ही देर में बाहर आ गया. उसके हाथ में किसान की घड़ी थी. जब किसान ने वह घड़ी देखी, तो बहुत ख़ुश हुआ. उसे आश्चर्य हुआ कि जिस घड़ी को ढूंढने में सब नाकामयाब रहे, उसे उस बच्चे ने कैसे ढूंढ निकाला?

पूछने पर बच्चे ने बताया कि कोठी के भीतर जाकर वह चुपचाप एक जगह खड़ा हो गया और सुनने लगा. शांति में उसे घड़ी की टिक-टिक की आवाज़ सुनाई पड़ी और उस आवाज़ की दिशा में खोजने पर उसे वह घड़ी मिल गई.

किसान ने बच्चे को शाबासी दी और ईनाम देकर विदा किया.

सीख – शांति हमारे मन और मस्तिष्क को एकाग्र करती है और यह एकाग्र मन:स्थिति जीवन की दिशा निर्धारित करने में सहायक है. इसलिए दिनभर में कुछ समय हमें अवश्य निकलना चाहिए, जब हम शांति से बैठकर मनन कर सकें. अन्यथा शोर-गुल भरी इस दुनिया में हम उलझ कर रह जायेंगे. हम कभी न खुद को जान पायेंगे न अपने मन को. बस दुनिया की भेड़ चाल में चलते चले जायेंगे. जब आँख खुलगी, तो बस पछतावा होगा कि जीवन की ये दिशा हमने कैसे निर्धारित कर ली? हम चाहते तो कुछ और थे. जबकि वास्तव में हमने तो वही किया, जो दुनिया ने कहा. अपने मन की बात सुनने का तो हमने समय ही नहीं निकाला.


3.चार शिक्षकों पर आधारित उच्च प्राथमिक विद्यालय 6,7,8 की समय सारिणी मिशन प्रेरणा के द्वारा जारी



4.चार शिक्षकों पर आधारित उच्च प्राथमिक विद्यालय 6,7,8 की समय सारिणी मिशन प्रेरणा के द्वारा जारी


निर्देश -
1. पर्यावरण अध्ययन की कक्षाएं प्रधान अध्यापक द्वारा आवश्यकतानुसार ली जाएगी।

2. गृह शिल्प एवं कृषि की कक्षा सोमवार मंगलवार तथा बुधवार को संचालित होगी।

3. कला की कक्षा गुरुवार एवं शुक्रवार को संचालित होगी।

4. मीना मंच व बाल संसद का आयोजन प्रत्येक शनिवार को होगा।

एक कहानी किसान की घड़ी बोनस में 





 एक दिन की बात है. एक किसान अपने खेत के पास स्थित अनाज की कोठी में काम कर रहा था. काम के दौरान उसकी घड़ी कहीं खो गई. वह घड़ी उसके पिता द्वारा उसे उपहार में दी गई थी. इस कारण उससे उसका भावनात्मक लगाव था. 

उसने वह घड़ी ढूंढने की बहुत कोशिश की. कोठी का हर कोना छान मारा. लेकिन घड़ी नहीं मिली. हताश होकर वह कोठी से बाहर आ गया. वहाँ उसने देखा कि कुछ बच्चे खेल रहे हैं. 

उसने बच्चों को पास बुलाकर उन्हें अपने पिता की घड़ी खोजने का काम सौंपा. घड़ी ढूंढ निकालने वाले को ईनाम देने की घोषणा भी की. ईनाम के लालच में बच्चे तुरंत मान गए.

कोठी के अंदर जाकर बच्चे घड़ी की खोज में लग गए. इधर-उधर, यहाँ-वहाँ, हर जगह खोजने पर भी घड़ी नहीं मिल पाई. बच्चे थक गए और उन्होंने हार मान ली. 

किसान ने अब घड़ी मिलने की आस खो दी. बच्चों के जाने के बाद वह कोठी में उदास बैठा था. तभी एक बच्चा वापस आया और किसान से बोला कि वह एक बार फिर से घड़ी ढूंढने की कोशिश करना चाहता था. किसान ने हामी भर दी.



बच्चा कोठी के भीतर गया और कुछ ही देर में बाहर आ गया. उसके हाथ में किसान की घड़ी थी. जब किसान ने वह घड़ी देखी, तो बहुत ख़ुश हुआ. उसे आश्चर्य हुआ कि जिस घड़ी को ढूंढने में सब नाकामयाब रहे, उसे उस बच्चे ने कैसे ढूंढ निकाला?

पूछने पर बच्चे ने बताया कि कोठी के भीतर जाकर वह चुपचाप एक जगह खड़ा हो गया और सुनने लगा. शांति में उसे घड़ी की टिक-टिक की आवाज़ सुनाई पड़ी और उस आवाज़ की दिशा में खोजने पर उसे वह घड़ी मिल गई.

किसान ने बच्चे को शाबासी दी और ईनाम देकर विदा किया.

सीख – शांति हमारे मन और मस्तिष्क को एकाग्र करती है और यह एकाग्र मन:स्थिति जीवन की दिशा निर्धारित करने में सहायक है. इसलिए दिनभर में कुछ समय हमें अवश्य निकलना चाहिए, जब हम शांति से बैठकर मनन कर सकें. अन्यथा शोर-गुल भरी इस दुनिया में हम उलझ कर रह जायेंगे. हम कभी न खुद को जान पायेंगे न अपने मन को. बस दुनिया की भेड़ चाल में चलते चले जायेंगे. जब आँख खुलगी, तो बस पछतावा होगा कि जीवन की ये दिशा हमने कैसे निर्धारित कर ली? हम चाहते तो कुछ और थे. जबकि वास्तव में हमने तो वही किया, जो दुनिया ने कहा. अपने मन की बात सुनने का तो हमने समय ही नहीं निकाला.
In a story farmer's watch bonus



 Once upon a time. A farmer was working in a grain plant near his farm. His watch was lost during work. The watch was gifted to him by his father. Because of this he had an emotional attachment to her.

He tried hard to find that watch. Every corner of the house was searched. But the clock was not found. Desperate, he came out of the cell. There he saw some children playing.

He called the children nearby and tasked them to find their father's watch. Also announced a reward for the watchmaker. The children immediately agreed in the greed of the prize.

Going inside the kothi, the children started searching for the clock. Even here and there, everywhere, the clock could not be found even after searching everywhere. The children got tired and they gave up.

The farmer has now lost hope of getting the watch. He was sad in the kothi after the children left. Then a child came back and told the farmer that he wanted to try to find the watch once again. The farmer agreed.


The child went inside the kothi and came out shortly. The farmer had a watch in his hand. When the farmer saw that watch, he was very happy. He wondered how the child found the watch he failed to find?

When asked, the child told that he went inside the Kothi and quietly stood in one place and started listening. In peace, he heard the sound of the clock ticking and after searching in the direction of that voice, he found the clock.

The farmer complimented the child and gave away the prize.

Lesson - Peace concentrates our mind and brain and this concentrated mind: position is helpful in determining the direction of life. Therefore, we must leave some time during the day, when we can sit and meditate in peace. Otherwise, we will be entangled in this noisy world. We will never know ourselves nor our minds. Just the sheep of the world will go on walking. When the eyes open, we will only regret how we have determined this direction of life? We wish there were more. Whereas in reality we did what the world said. We did not take time to listen to our mind.


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